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"मंगलमय नव-वर्ष 2010"

Thursday 31 December 2009

नव-वर्ष 2010 आप सबको मंगलमय हो!
डॉ.इन्द्र देव माहर,
श्रीमती रजनी माहर
नन्दिनी एवं पल्लवी

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"!! मुक्तक !!" (डॉ.इन्द्र देव माहर)

Saturday 31 October 2009


!! मुक्तक !!

जीवन के झंझावातों में,
अब तक इतना उलझा था मैं,
प्रीत-रीत मर्यादाओं के,
बन्धन ने इतना घेरा था!
जीवन के पग-पग पर मैंने,
सारे जग को अपना जाना,
आँख खुली तो बोध हुआ,
दुनिया मे सब तेरा-मेरा था!!

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दृष्टिकोण (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)

Sunday 15 March 2009

भूल चुके हैं आज सब,


ऊँचे दृष्टिकोण,


दृष्टि तो अब खो गयी,


शेष रह गया कोण।


शेष रह गया कोण,


स्वार्थ में सब हैं अन्धे,


सब रखते यह चाह,


मात्र ऊँचे हो धन्घे।


कह मयंक उपवन में,


सिर्फ बबूल उगे हैं,


सभी पुरातन आदर्शो को,


भूल चुके हैं।

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मेरी गुड़िया (श्रीमती रजनी माहर)

Tuesday 10 March 2009

मेरी गुड़िया जब से,


मेरे जीवन में आयी हो।


सूने घर आँगन में मेरे,


नया सवेरा लायी हो।


पतझड़ में बन कर बहार,


मेरे उपवन में आयी हो।


गुजर चुके बचपन को मेरे,


फिर से ले आायी हो।


सुप्त हुई सब इच्छाओ को,


तुमने पुनः जगाया।


पानी को मम कहना,


मुझको तुमने ही सिखलाया।


तुमने किट्टू को तित्तू ,


तुतली जबान से बतलाया।


मम्मी को मी पापा को पा,


कह अपना प्यार जताया।


मेरी लाली-पाउडर तुम,


अपने गालों पर मलती हो।


मुझको कितना अच्छा लगता,


जब ठुमके भर कर चलती हो।


सजे-सजाये घर को तुम,


पल भर मे बिखराती हो।


फिर भी गुड़िया रानी तुम,


मम्मी को हर्षाती हो।


छोटी सी भी चोट तुम्हारी,


मुझको बहुत रुलाती है।


तुतली-तुतली बातें तेरी,


मुझको बहुत लुभाती हैं।


दादा जी की ऐनक-डण्डा,


लेकर तुम छिप जाती हो।


फिर भी गुड़िया रानी तुम,


दादा जी को भाती हो।


अपनी भोली बातों से तुम,


सबके दिल पर छायी हो।


मेरी गुड़िया जब से,


मेरे जीवन में आयी हो।


सूने घर आँगन में मेरे,


नया सवेरा लायी हो।

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श्रीमती रजनी के अन्तर्मन के कुछ भावः

Monday 23 February 2009


जिन्दगी


जिन्दगी धूप ही धूप है,

छाँव का नाम-औ-निशां नही।



जिन्दगी एक पतझड़ है,

बसन्त का नाम-औ-निशां नही।



जिन्दगी सेज है काँटों की,

जहाँ फूलों का नाम-औ-निशां नही।



जिन्दगी आँसुओं का सैलाब है,

यहाँ मुस्कान का नाम-औ-निशां नही।



जिन्दगी निराशा का नाम है,

यहाँ आशा का नाम-औ-निशां नही।



जिन्दगी एक नफरत है,

यहाँ प्यार का नाम-औ-निशां



जिन्दगी एक नदिया है,

जहाँ साहिल का नाम-औ-निशां नही।


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