कबिरा सोई पीर है- सामाजिक विषमताएं उभरती हैं पात्रों के अंतर्द्वंद्व में
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*- सुरेखा भनोट *
इंतजार के बाद आ ही गया 'कबिरा सोई पीर है' मेरे हाथों में भी। और एक ही दिन
में चार बार शांत वातावरण ढूंढकर इस बेहद सुंदर कृति को पढ़ लिया...
4 hours ago
3 comments:
गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
बहुत सटीक!
very good.
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