गुलमोहर गीत "पथिक को छाया मिले" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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*हो गया मौसम गरम**,*
*सूरज अनल बरसा रहा।*
*गुलमोहर के पादपों का**,*
*“**रूप**”** सबको भा रहा।।*
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*दर्द-औ-ग़म अपना छुपा**,*
*हँसते रहो हर ह...
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